डायरेक्ट सेलिंग उद्योग ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद ई-कॉमर्स को कड़ी टक्कर देना शुरू कर दिया है। साथ ही इस उद्योग ने कोरोना की चुनौती को तकनीक और नई पहल के जरिये अवसर में बदलने की कोशिश है। इसकी बदौलत डायरेक्ट सेलिंग उद्योग ने 2020-21 की कोविड प्रभावित पहली छमाही में 4.7 प्रतिशत वृद्धि की है।इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) ने शुक्रवार को अपनी वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार भारतीय डायरेक्ट सेलिंग उद्योग ने वित्तीय नर्ष 2020-21 की महामारी से प्रभावित पहली छमाही में 7,518 करोड़ रुपए की कुल बिक्री की जो इसके पहले समान अवधि की तुलना में 4.7 फीसदी अधिक है।
डायरेक्ट सेलिंग से इन उत्पादों को खरीदने की होड़
रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य एवं पोषण वर्ग के उत्पादों की मांग में काफी तेजी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक वेलनेस वर्ग के उत्पादों ने भारतीय डायरेक्ट सेलिंग बिक्री में 57 प्रतिशत का योगदान दिया, इसके बाद कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर वर्ग ने 22 प्रतिशत का योगदान दिया। जबकि घरेलू सामानों के वर्ग की इसमें आठ फीसदी की हिस्सेदारी रही।
खरीदारी में महाराष्ट्र, बंगाल और यूपी सबसे आगे
रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय डायरेक्ट सेलिंग उद्योग ने 28.26 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज की। इस अवधि में इसकी कुल बिक्री 16,776.2 करोड़ रुपए रही, जो कि 2018-19 में 13,080 करोड़ रुपए थी। बिक्री में सबसे ज्यादा 12 प्रतिशत का योगदान महाराष्ट्र का रहा। इसके बाद 11 प्रतिशत पश्चिम बंगाल और नौ फीसदी उत्तर प्रदेश का रहा। हरियाण और दिल्ली करीब पांच-पांच प्रतिशत के योगदान के साथ डायरेक्ट सेलिंग के प्रमुख बाजारों में शामिल हैं।
वर्क फ्रॉम होम से बढ़ी मांग
रिपोर्ट के मुताबिक घर से काम करने यानी वर्क फ्रॉम होम के चलन के साथ इस समीक्षधीन अवधि में रोजाना 29,064 नए भागीदारों की औसत संख्या के साथ कुल 53.18 लाख लोग डायरेक्ट सेलिंग से जुड़े। आईडीएसए ने कहा, घर से काम करने के चलन के कारण लोग वैसे विकल्प तलाशने में सक्षम हुए जिनसे उन्हें घर से काम करने के दौरान खुद से अर्जित की जा सकने वाली आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिल सकता है।
नियमन होने से बढेंगे रोजगार के मौके
सरकार ने इसी माह के शुरू में डायरेक्ट सेलिंग उद्योग के लिए इसी माह के शुरू में नियमावली का मसौदा जारी किया है। उपभोक्त संरक्षण (डायरेक्ट सेलिंग) नियमावली, 2021 के मसौदे पर संतोष जताते हुए आईडीएसए के पदाधिकारियों ने कहा कि यह ‘ यह नियमावली सुरंग के छोर पर रोशनकी के समान है। इससे उद्योग को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहली बार इस उद्योग के लिए अलग से नियामकीय और पंजीकरण व्यवस्था की जा रही है। इससे इस क्षेत्र को गतिविधियों का विस्तार करने और रोजगार के अवसर बढ़ान में योगदान देने में मददम मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में वैश्विक स्तर पर 180 अरब डॉलर के डायरेक्ट सेलिंग बाजार में भारत का योगदान अभी एक प्रतिशत ही है पर यह सबसे तीव्र वृद्धि करने वाले बाजारों में है। कारोबार की दृष्टि से 20 शीर्ष देशों में भारत का 12वां स्थान है।