सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के घर खरीदारों को स्वीकृत योजना मुहैया कराने में विफल रहने पर नोएडा अथॉरिटी की आलोचना करते हुए कहा, ”आप (प्राधिकरण) चारों तरफ से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।” दो 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपरटेक की अपील पर फैसला सुरक्षित रखने वाली न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि जब घर खरीदारों ने योजना सौंपने के लिए कहा तो प्राधिकरण ने डेवलपर से पूछा क्या इसे साझा करना चाहिए। डेवलपर के कहने पर उन्हें योजना सौंपने से इनकार कर दिया गया।
प्राधिकरण की सुपरटेक से सांठगांठ
पीठ ने कहा, “यह अधिकारों का चौंकाने वाला इस्तेमाल है। आप (नोएडा प्राधिकरण) न केवल मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि सुपरटेक के साथ साठगांठ कर रखी है। जब घर खरीदारों ने एक स्वीकृत योजना के लिए कहा, तो आपने सुपरटेक को लिखा कि आपको दस्तावेज देना चाहिए या नहीं और इनकार करने पर आपने उन्हें योजना देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से आपको यह निर्देश दिए जाने के बाद ही आपने उन्हें योजना सौंपी। आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दो टावरों एपेक्स और सेयेन में कुल मिलाकर 915 अपार्टमेंट और 21 दुकानें हैं। इनमें से शुरू में 633 फ्लैट बुक किए गए थे। शीर्ष अदालत सुपरटेक लिमिटेड की अपील और मकान खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। ये अपील और याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के आदेश के पक्ष और उसके खिलाफ दायर की गयी हैं। हाईकोर्ट ने नियमों का उल्लंघन करने के लिए दोनों टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।