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UPSC की तरह BPSC में भी जारी हो वेटिंग लिस्ट, बिहार विधानसभा में उठी मांग

बिहार लोक सेवा आयोग यानी बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा प्रणाली को संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी (UPSC) की तर्ज पर सुधार की मांग तेज होने लगी है। गौर करने वाली बात यह है यह मांग छात्रों की ओर से नही बल्कि विधायकों की ओर की गई है। बिहार विधानसभा के पहले सत्र में विपक्ष के हंगामे के बीच ध्यानाकर्षण के तहत दो महत्वपूर्ण मुद्दे सदस्यों ने उठाए।

मानक मूल्यांकन नीति नहीं

विधायक ज्ञानेन्द्र कुमार ज्ञानू समेत जनक सिंह, संजीव चौरसिया, अरुण कुमार सिन्हा, ने सरकार का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि यूपीएससी की तर्ज पर ही बीपीएससी में भी ऐच्छिक विषयों में मानक मूल्यांकन नीति स्थापित करते हुए वेटिंग लिस्ट प्रकाशित की जाए। माननीय विधायकों ने सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि कि बीपीएससी ने अपने स्थापना काल से लेकर आज तक ऐच्छिक (वैकल्पिक) विषयों में न तो मानक मूल्यांकन नीति की व्यवस्था रखी है और न ही वेटिंग लिस्ट प्रकाशित करती है। विधायकों का कहना कि इससे चयन में असंतुलन पैदा होता है। सरकार की ओर से प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार ने इस पर सरकार का वक्तव्य रखने के लिए समय की मांग की है।

वेटिंग रिजल्ट नहीं देने पर पिछड़ा वर्ग आयोग सख्त

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल सहनी ने भी वेटिंग रिजल्ट को लेकर बीपीएससी के अध्यक्ष को बुलाया है। बीपीएससी के जवाब से असंतुष्ट राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में 2 अगस्त 2021 को सुनवाई की तिथि तय की है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने वेटिंग रिजल्ट न दिए जाने के मामलो को प्राकृतिक न्याय के विपरीत माना है।

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के साथ भेदभाव

सदन में दूसरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के साथ भेदभाव का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य में सात आरक्षण श्रेणी है और इनमें से 4 श्रेणियों को आयु सीमा में छूट, बैकलॉग का लाभ तथा बिहार तक सीमित रखा जाता है। लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों को इनमें से कुछ भी लाभ नहीं दिया जाता है।