एडटेक प्लेटफॉर्म l4o.in (एल4ओ.इन) ने सीड फंडिंग की राशि जुटाई है। यह प्लेटफॉर्म स्थानीय भाषा (क्षेत्रीय भाषाओं) में हाई क्वालिटी कंटेंट बनाता है जो रोजगार सुनिश्चित करता है और शिक्षार्थियों को ग्लोबल स्तर पर नौकरी करने के लिए तैयार करता है। इस सीड फंडिंग राउंड का नेतृत्व आईएएन ने किया, जिसमें पवन कुमार गर्ग, उमेश प्रसाद, मृणाल डिडिगे, मोहिद्दीन शेख, चरण बाबू और अमन मनोज टेकरीवाल सहित अन्य एंजेल निवेशकों ने भागीदारी की। जयपुर स्थित एल4ओ.इन इस फंडिंग का इस्तेमाल अत्याधुनिक टेक प्रोडक्ट, कोर्सेस के डेवलपमेंट और नए बाजारों में विस्तार के लिए करेगा। हालांकि, फिलहार सीड राउंड में जुटाई गई राशि का खुलासा नहीं किया किया गया है।
सिर्फ 45 मिनट में कंपनी शुरू करने की आइडिया
एल4ओ.इन की यात्रा तब शुरू हुई जब एक युवा स्नातक ने संस्थापकों में से एक कमल कांत गुप्ता से संपर्क किया, ताकि उसे कमल के नेटवर्क के माध्यम से नौकरी मिल सके। 45 मिनट की बातचीत के बाद गुप्ता ने महसूस किया कि भारत में रोजगार को लेकर कई तरह की समस्याएं हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। जब इसके बारे में और जानकारी जुटाई गई तो कमल कांत को पता चला कि ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी पाने की ख्वाहिश रखते हैं क्योंकि यह जॉब सिक्योरिटी देती है। हालांकि, सभी सरकारी और बैंक परीक्षाओं को मिलाकर सिलेक्शन रेश्यो 1.5% से अधिक नहीं है। प्रभावी रूप से अन्य 98.5% उम्मीदवार सफल नहीं हो पाते हैं। उन्होंने यह भी महसूस किया कि ऐसे प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है जो स्नातकों की स्किल को डेवलप करें और इसके लिए स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में हाई क्वालिटी कंटेंट प्रदान करें। इसके बाद ही कमलकांत ने राहिल शेख से संपर्क किया, जो क्वालिटी एजुकेशन की बाधाओं को दूर करने के मिशन के साथ शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे थे। तब उन्होंने साथ मिलकर उन बिंदुओं की पहचान की, जो युवाओं के लिए बड़ी चुनौती थी और इन समस्याओं को दूर करने के लिए जनवरी 2021 में एल4ओ.इन लॉन्च किया। उनका मानना है कि शिक्षा परिणाम आधारित होनी चाहिए, और इसके परिणामस्वरूप छात्रों को निरंतर अपनी क्षमताएं सुधारने अपस्किलिंग की आवश्यकता होती है।
स्थानी भाषा में ट्रेनिग देकर 100% की गारंटी
वर्तमान में यह एडटेक प्लेटफॉर्म युवा स्नातकों के बीच बेरोजगारी की समस्या को हल कर रहा है, जिन्हें कॉलेज की डिग्री होने के बावजूद ग्लोबल नौकरी बाजार में सामने आ रहे नए पदों के लिए योग्यता प्राप्त करने के लिए रीस्किलिंग और अपस्किलिंग की आवश्यकता है। यह क्षेत्रीय भाषाओं में हाई क्वालिटी वाला कंटेंट और ट्रेनिंग की पेशकश कर रहा है, जिससे 100% नौकरी की गारंटी सुनिश्चित होती है।
बिहार-यूपी समेत हिंदी भाषी राज्यों पर जोर
यह प्लेटफॉर्म पहले से ही भारत के कुछ क्षेत्रों में हिंदी (हिंग्लिश) में कंटेंट और ट्रेनिंग दे रहा है। इनमें राजस्थान, यूपी, एमपी, उत्तराखंड, एनसीआर, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ शामिल हैं। https://l4o.in/ (एल4ओ.इन) के सह-संस्थापक कमल कांत गुप्ता ने सीड फंडिंग पर कहा, “सरकारी परीक्षाओं और बैंक की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा स्नातक नौकरी पाने के लिए पर्याप्त कुशल नहीं हैं। एक और समस्या यह है कि लगभग सभी एडटेक प्लेटफॉर्म अंग्रेजी भाषा में कंटेंट प्रदान करते हैं और कोई भी प्लेटफॉर्म स्थानीय भाषा पर फोकस नहीं कर रहा है। इस वजह से हमारा विजन बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का कारण बन रहे इन गैप्स को दूर करना है। हमारा मानना है कि शिक्षा परिणाम आधारित होनी चाहिए। यही हम अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से बनाना चाहते हैं। हम नौकरी की 100% गारंटी के साथ, हरसंभव भारतीय भाषा में हाई क्वालिटी वाले कोर्स और कुशल स्नातकों की पेशकश कर रहे हैं। एल4ओ.इन पर हम एक ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं जो यह सुनिश्चित करेगा कि हर कोई इस वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी आजीविका कमा सके।हम इस सीड फंडिंग के लिए आईएएन और अन्य प्रमुख निवेशकों के आभारी हैं और जल्द ही हमें उम्मीद है कि अधिक अत्याधुनिक प्रोडक्ट्स और कोर्सेस विकसित कर उनकी उम्मीदों पर खरे उतर सकेंगे।”
छोटे शहरों के युवाओं को नौकरी के लायक बनाना लक्ष्य
इसके अलावा आईएएन में लीड इन्वेस्टर प्रदीप जय सिंह ने कहा, “भारत में टियर -2/3 और ग्रामीण युवाओं को रोजगार के लायक बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि, यह एक बड़ा अवसर भी प्रस्तुत करता है और लर्न4ओ (L4o.in) इस रोमांचक स्थान में खुद को स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। हम संस्थापकों की टीम के साथ इस एंटरप्राइज को सपोर्ट करने में खुशी महसूस कर रहे हैं और हमें दृढ़ता से विश्वास है कि वे भारत के छोटे शहरों में लाखों नौकरियां पैदा करने में महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करेंगे।” आगे बढ़ते हुए एडटेक प्लेटफॉर्म भारत के अन्य क्षेत्रों में विस्तार करेगा और अपने प्लेटफॉर्म पर अधिक क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करेगा, जिससे ग्रेजुएट्स के रोजगार में काफी सुधार होगा।